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मध्यप्रदेश में कास्ट फैक्टर की ओर बढ़ रही सियासत; ब्राह्मणों को साधने शंकरदयाल, तो सिंधिया को घेरने राजमाता का सहारा

भोपाल. मप्र की सियासत में पहले जातिगत फैक्टर इतना अहम नहीं रहा, लेकिन इस बार भाजपा की चुनावी रणनीति से जाहिर हो रहा है कि दलित, ओबीसी, सामान्य वर्ग के वोट हासिल करने जातियों को केंद्र में रखकर चुनाव लड़ा जाएगा।
साल के अंत में होने वाले मप्र विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं। इस बार के चुनाव में जातिगत फैक्टर सबसे अहम होने के संकेत मिल रहे हैं। भाजपा ने दलितों की नाराजगी और आरक्षण मुद्दे से निपटने के लिए जाति पर फोकस शुरू कर दिया है। इसी क्रम में भाजपा प्रदेश के 9% ब्राह्मणों को साधने के लिए पूर्व राष्ट्रपति स्व. डॉ. शंकरदयाल शर्मा का जन्मशताब्दी वर्ष मनाएगी। वहीं कांग्रेस के युवा चेहरे ज्योतिरादित्य सिंधिया को उनके ही गढ़ में घेरने के लिए राजमाता विजयाराजे सिंधिया का जन्मशताब्दी वर्ष मनाने की तैयारी कर ली गई है। गौरतलब है कि मप्र की सियासत में कभी भी जातिगत आधार पर चुनाव नहीं हुए हैं, लेकिन इस बार भाजपा की चुनावी रणनीति से जाहिर हो रहा है कि दलित, ओबीसी और सामान्य वर्ग के वोट बैंक को मजबूत करने के लिए जातियों के सहारे ही चुनाव लड़ा जाएगा।
4.94 करोड़ मतदाता, इनमें 40 लाख से ज्यादा ब्राह्मण वोटर : इस चुनाव में ब्राह्मण फैक्टर मजबूत असर दिखा सकता है। प्रदेश में कुल वोटरों की संख्या 4 करोड़ 94 लाख 42 हजार है। इसमें से लगभग 9 फीसदी वोट ब्राह्मणों के हैं यानी 40 लाख से ज्यादा। विंध्य, महाकौशल, चंबल और मध्य क्षेत्र पर नजर डालें तो यहां कि 60 सीटें ऐसी हैं जहां ब्राह्मण सीधा असर डालते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव (2013) में प्रदेश में 7 फीसदी से ज्यादा ब्राह्मण वोटों का बिखराव देखने को मिला था।
उन कार्यक्रमों पर ज्यादा जोर, जिनमें ब्राह्मण ज्यादा संख्या में जुटेंगे : पूर्व राष्ट्रपति स्व. डॉ. शंकरदयाल शर्मा प्रदेश में कांग्रेस के साथ ही ब्राह्मणों के बड़े नेता रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनका जन्मशताब्दी वर्ष मनाने का ऐलान कर दिया है। राज्य सरकार जिलों में प्रेरणा कार्यक्रमों का आयोजन करेगी। सरकार का उन कार्यक्रमों पर ज्यादा जोर रहेगा, जिनमें ब्राह्मण समाज के लोग ज्यादा संख्या में जुटेंगे। हालांकि जनआशीर्वाद और नर्मदा यात्रा की तरह इस कार्यक्रम की कमान भाजपा के पास ही रहेगी। भाजपा ये भी मानकर चल रही है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद प्रदेश में निकलने वाली कलश यात्रा से ब्राह्मण वोटरों का पार्टी के प्रति झुकाव होगा, इसीलिए भोपाल के बाद ग्वालियर में भी 22 अगस्त को अटलजी की श्रद्धांजलि सभा होगी।
ग्वालियर, गुना, मुरैना, चंबल, भिंड में सिंधिया परिवार का प्रभुत्व : राज्य सरकार और प्रदेश भाजपा दोनों ही पार्टी की वरिष्ठ नेता स्व. राजमाता विजयाराजे सिंधिया का जन्मशताब्दी वर्ष मनाने जा रही है। राजमाता का जन्म 12 अक्टूबर 1919 को हुआ था, इस हिसाब से राजामाता का जन्मशताब्दी वर्ष अगले साल से है। 2018 में 99 साल ही पूरे हुए हैं। स्व. डॉ. शंकरदयाल शर्मा का जन्म 1918 में हुआ था, जिसके चलके 100 साल पूरे होने पर उनका जन्मशताब्दी मनाया जा रहा है। दोनों ही आयोजन अक्टूबर से शुरू होंगे। ग्वालियर, गुना, मुरैना, चंबल और भिंड जैसे इलाकों में सिंधिया परिवार का प्रभुत्व है, जिसके चलते भाजपा राजमाता के जन्मशताब्दी वर्ष के माध्यम से मतदाताओं से भावनात्मक रूप से जुड़ने का मन बना चुकी है।
Politics towards Cast Factor in Madhya Pradesh
राज्य सरकार और प्रदेश भाजपा दोनों ही पार्टी की वरिष्ठ नेता स्व. राजमाता विजयाराजे सिंधिया का जन्मशताब्दी वर्ष मनाने जा रही है।
Politics towards Cast Factor in Madhya Pradesh

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