पहली बार टैक्स स्लैब में दोगुनी राहत, जानिए पिछले 70 सालों में कब और कैसे हुए बदलाव
चुनाव से पहले केंद्र सरकार अपने आखिरी बजट में लगभग हर तबके पर मेहरबान हुई है। मिडिल क्लास जो अधिकतर बार प्राथमिकताओं से छूट जाता रहा था और खासकर पिछले कुछ सालों से टैक्स स्लैब में राहत नहीं दिए जाने के कारण असंतुष्ट रहता था, वह इस बार बहुत खुश है।
मिडिल क्लास को भी ईमानदारी का ईनाम देते हुआ आयकर की सीमा को दोगुनी करते हुए पांच लाख कर दिया है। यानि कि अब पांच लाख तक की आय कर मुक्त होगी।
आजाद भारत के 70 सालों में करीब इतने ही बार बजट पेश किया जा चुका है। हर बार के बजट में खासकर मिडिल क्लास को टैक्स स्लैब में ही राहत मिलने की सबसे ज्यादा उम्मीद होती है। अधिकतर बार इस मामले में निराश रहने वाला मिडिल क्लास इस बार दुगुनी राहत मिलने से काफी खुश है।
अबतक करीब 10 से ज्यादा बार टैक्स स्लैब में बदलाव हुए हैं। तो आइए जानतें हैं कि देश में कब-कब और कैसे टैक्स स्लैब में बदलाव हुए।
आजाद भारत के 70 सालों में करीब इतने ही बार बजट पेश किया जा चुका है। हर बार के बजट में खासकर मिडिल क्लास को टैक्स स्लैब में ही राहत मिलने की सबसे ज्यादा उम्मीद होती है। अधिकतर बार इस मामले में निराश रहने वाला मिडिल क्लास इस बार दुगुनी राहत मिलने से काफी खुश है।
अबतक करीब 10 से ज्यादा बार टैक्स स्लैब में बदलाव हुए हैं। तो आइए जानतें हैं कि देश में कब-कब और कैसे टैक्स स्लैब में बदलाव हुए।
1949-50: वित्त मंत्रीजॉन मथाई, एक चौथाई राहत
देश की आजादी के बाद पहली बार 1949-50 में टैक्स दर तय की गई थी। कांग्रेस सरकार में वित्त मंत्री जॉन मथाई थे। तब 10,000 तक की आमदनी पर एक आना टैक्स लगता था, जिसमें एक चौथाई कटौती की थी।
वहीं, 10000 रुपये से ज्यादा के दूसरे स्लैब पर 2 आना टैक्स लगता था, जिसे घटाकर 1.9 आना किया गया था।
वहीं, 10000 रुपये से ज्यादा के दूसरे स्लैब पर 2 आना टैक्स लगता था, जिसे घटाकर 1.9 आना किया गया था।
1974-75: यशवंत राव चव्हाण, 6000 तक टैक्स फ्री
1974-75 में कांग्रेस सरकार में महाराष्ट्र के यशवंत राव चव्हाण वित्त मंत्री थे। उन्होंने 97.75 फीसद के टैक्स को घटाकर 75 फीसद कर दिया। उन्होंने 6000 रुपये तक की सालाना आमदनी को टैक्स स्लैब से बाहर किया था।
साथ ही 70000 रुपये से ज्यादा की सालाना कमाई पर 70 फीसद का मार्जिनल टैक्स दर तय किया गया। इसके अलावा सभी श्रेणियों पर सरचार्ज एक समान 10 फीसद कर दिया गया।
साथ ही 70000 रुपये से ज्यादा की सालाना कमाई पर 70 फीसद का मार्जिनल टैक्स दर तय किया गया। इसके अलावा सभी श्रेणियों पर सरचार्ज एक समान 10 फीसद कर दिया गया।
1985-86: विश्वनाथ प्रताप सिंह, 18000 तक टैक्स फ्री
1985-86 में राजीव गांधी की सरकार में विश्वनाथ प्रताप सिंह वित्त मंत्री थे। उन्होंने तबतक चल रहे 8 इनकम टैक्स स्लैब्स को 4 भागों में कर दिया। 18000 रुपए तक सालाना आय को टैक्स फ्री कर दिया।
25000 रुपए तक की आमदनी पर 25 फीसदी और 50,000 रुपए की आमदनी पर 30 फीसदी टैक्स रखा गया। 1 लाख रुपए पर 40 फीसदी टैक्स और 1 लाख रुपये से ज्यादा की आमदनी पर 50 फीसदी टैक्स लगाया गया।
25000 रुपए तक की आमदनी पर 25 फीसदी और 50,000 रुपए की आमदनी पर 30 फीसदी टैक्स रखा गया। 1 लाख रुपए पर 40 फीसदी टैक्स और 1 लाख रुपये से ज्यादा की आमदनी पर 50 फीसदी टैक्स लगाया गया।
1992-93: मनमोहन सिंह, 30000 तक टैक्स फ्री
प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की सरकार में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह तभी वित्त मंत्री थे। 30,000 तक की आय टैक्स के दायरे से बाहर रखी गई थी। टैक्स स्लैब को तीन हिस्सों में बांटा था। 30 हजार से 50 हजार रुपये तक की आय पर 20 फीसदी टैक्स लगाई गई।
50,000 से एक लाख तक की आय पर 30 फीसदी टैक्स लगाई गई, जबकि एक लाख से अधिक की सालाना आय पर 40 फीसदी टैक्स का प्रावधान किया गया।
50,000 से एक लाख तक की आय पर 30 फीसदी टैक्स लगाई गई, जबकि एक लाख से अधिक की सालाना आय पर 40 फीसदी टैक्स का प्रावधान किया गया।
1994-95: मनमोहन सिंह, 5000 अधिक की राहत
एक बार फिर कांग्रेस की सरकार में वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने बजट पेश किया था। टैक्स स्लैब में थोड़ा बहुत बदलाव किया गया। हालांकि टैक्स दरें सेम रही, पर सालाना आय की सीमा बढ़ाई गई। टैक्स स्लैब से बाहर का दायरा 30000 था, जिसे बढ़ाकर 35000 सालाना आय किया गया।
वहीं, पहले स्लैब में 35,000 से 60,000 तक की सालाना आय पर 20 फीसदी टैक्स लगाई गई। 60,000 से एक लाख 20 हजार तक की आय पर 30 फीसदी टैक्स, जबकि इससे अधिक की आय पर 40 फीसदी टैक्स का प्रावधान किया गया।
वहीं, पहले स्लैब में 35,000 से 60,000 तक की सालाना आय पर 20 फीसदी टैक्स लगाई गई। 60,000 से एक लाख 20 हजार तक की आय पर 30 फीसदी टैक्स, जबकि इससे अधिक की आय पर 40 फीसदी टैक्स का प्रावधान किया गया।
1997-98: पी. चिदंबरम, टैक्स दरों में बड़ी राहत
कांग्रेस की सरकार में पी. चिदंबरम वित्त मंत्री थे। उन्होंने टैक्स स्लैब में भी बदलाव किया और पहले की अपेक्षा टैक्स दरों में भी बड़ी राहत दी। तीन टैक्स स्लैबों के लिए पूर्व निर्धारित टैक्स दरों को 15 फीसदी, 30 फीसदी और 40 फीसदी से घटा कर 10 फीसदी, 20 फीसदी और 30 फीसदी कर दिया।
पहले स्लैब में 40,000 से 60,000 रुपए सालाना आमदनी वालों को रखा गया। दूसरे टैक्स स्लैब में 60,000 से डेढ़ लाख वालों को रखा और तीसरे स्लैब में डेढ़ लाख से ज्यादा आय वालों को रखा गया।
पहले स्लैब में 40,000 से 60,000 रुपए सालाना आमदनी वालों को रखा गया। दूसरे टैक्स स्लैब में 60,000 से डेढ़ लाख वालों को रखा और तीसरे स्लैब में डेढ़ लाख से ज्यादा आय वालों को रखा गया।
2005-06 : पी चिदंबरम, एक लाख तक आय टैक्स फ्री
यूपीए की सरकार में एक बार फिर से वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बजट पेश किया और फिर से टैक्स स्लैब में बदलाव किया। बड़ी बात यह रही कि टैक्स से छूट का दायरा बढ़ा कर एक लाख रुपए कर दिया। यानि कि सालाना एक लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं।
वहीं, टैक्स स्लैब में बदलाव करते हुए 1 लाख से 1.5 लाख रुपए सालाना आय पर 10 फीसदी टैक्स, डेढ़ से अधिक और 2.5 लाख तक की सालाना आमदनी पर 20 फीसदी टैक्स और ढाई लाख से ज्यादा सालाना आय पर 30 फीसदी टैक्स का प्रावधान किया।
वहीं, टैक्स स्लैब में बदलाव करते हुए 1 लाख से 1.5 लाख रुपए सालाना आय पर 10 फीसदी टैक्स, डेढ़ से अधिक और 2.5 लाख तक की सालाना आमदनी पर 20 फीसदी टैक्स और ढाई लाख से ज्यादा सालाना आय पर 30 फीसदी टैक्स का प्रावधान किया।
2010-11: प्रणव मुखर्जी, 1.6 लाख तक आय टैक्स फ्री
यूपीए का दूसरा शासनकाल था और पूर्व राष्ट्रपति रहे और भारत रत्न से सुशोभित प्रणव मुखर्जी तब वित्तमंत्री थे। उन्होंने भी बजट में बड़ी घोषणा थी। पहले जहां एक लाख तक सालाना आमदनी वाले टैक्स के दायरे से मुक्त थे, अब यह सीमा 60,000 और बढ़ा दी गई। यानि कि 1.60 लाख सालाना आमदनी पर कोई टैक्स नहीं।
टैक्स स्लैब में भी बड़ा बदलाव हुआ। 1.6 लाख से 5 लाख तक की आमदनी पर 10 फीसदी टैक्स, 5 लाख से 8 लाख तक की सालाना आमदनी पर 20 फीसदी टैक्स और इससे अधिक की आमदनी पर 30 फीसदी टैक्स का प्रावधान किया गया।
टैक्स स्लैब में भी बड़ा बदलाव हुआ। 1.6 लाख से 5 लाख तक की आमदनी पर 10 फीसदी टैक्स, 5 लाख से 8 लाख तक की सालाना आमदनी पर 20 फीसदी टैक्स और इससे अधिक की आमदनी पर 30 फीसदी टैक्स का प्रावधान किया गया।
2012-13: प्रणव मुखर्जी, 2 लाख आमदनी टैक्स फ्री
एक बार फिर प्रणब मुखर्जी ने बजट पेश किया और मिडिल क्लास को राहत दी। जीरो टैक्स के दायरे को बढ़ा कर 2 लाख रुपए कर दिया गया। यानि कि 2 लाख रुपए तक की सालाना आमदनी वालों को कोई टैक्स नहीं। टैक्स स्लैब में भी थोड़ा बदलाव किया। 2 लाख से 5 लाख रुपए सालाना आय पर 10 फीसदी, 5—10 लाख की सालाना आय पर 20 फीसदी और इससे अधिक आय पर 30 फीसदी टैक्स का प्रावधान किया गया।
2014-15: अरुण जेटली, 2.5 लाख तक आय टैक्स फ्री
एनडीए की मोदी सरकार का पहला बजट था और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश किया। उन्होंने टैक्स फ्री स्लैब का दायरा बढ़ा कर 2.5 लाख कर दिया। यानि कि 2.5 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं।
वहीं, वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह दायरा 3 लाख, जबकि अति वरिष्ठ नागरिक के लिए यह सीमा 5 लाख रखी गई। इसी साल फाइनेंस बिल 2015 पास हुआ।
वहीं, वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह दायरा 3 लाख, जबकि अति वरिष्ठ नागरिक के लिए यह सीमा 5 लाख रखी गई। इसी साल फाइनेंस बिल 2015 पास हुआ।
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