लोकसभा / राहुल ने कहा- राफेल पर चर्चा का सामना नहीं कर सकते मोदी; जेटली बोले- कांग्रेस के हाथ बोफोर्स-अगस्ता से रंगे हैं
- लोकसभा में राफेल डील पर चर्चा के दौरान राहुल और जेटली के बीच तीखी बहस हुई
- गोवा के मंत्री का ऑडियो टेप सुनाना चाहते थे राहुल, स्पीकर ने नहीं दी इजाजत
- राहुल का दावा: टेप में गोवा के मंत्री ने कहा था- पर्रिकर के पास राफेल डील के राज हैं
- स्पीकर ने कहा- पहले टेप की प्रामाणिकता साबित करें; इस पर राहुल ने अपनी मांग वापस ली
नई दिल्ली. लोकसभा में बुधवार को राफेल डील के मुद्दे पर चर्चा हुई। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 1 जनवरी को दिया इंटरव्यू पहले से सोचा-समझा हुआ था। इसमें प्रधानमंत्री ने राफेल डील से जुड़े कई अहम सवालों के जवाब नहीं दिए। आज भी लोकसभा में प्रधानमंत्री नहीं आए। उनमें यहां आकर हमारा सामना करने की हिम्मत नहीं है। वे अपने कमरे में छुपकर बैठे हैं। चर्चा के दौरान विपक्षी सांसदों ने कागज के हवाई जहाज बनाकर वेल की तरफ उड़ाए। इस पर स्पीकर ने कांग्रेस के कुछ सांसदों को कड़ी चेतावनी दी। अरुण जेटली ने राहुल को आरोपों पर जवाब दिया- राफेल के दाम यूपीए सरकार की तुलना में कम हैं और कांग्रेस के अपने ही हाथ अगस्ता-बोफोर्स घोटाले में रंगे हुए हैं।
पर्रिकर के मंत्री का कथित ऑडियो टेप सुनाना चाहते थे राहुल
राहुल चर्चा के दौरान गोवा के एक मंत्री का कथित ऑडियो टेप भी सुनाना चाहते थे, लेकिन लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी। राहुल का दावा था कि यह ऑडियो टेप गोवा के स्वास्थ्य मंत्री का है, जिन्होंने एक कैबिनेट बैठक का जिक्र किया था। इस बैठक में पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने दावा किया था कि उनके घर में राफेल डील के राज से जुड़ी फाइलें मौजूद हैं। इस पर स्पीकर ने कहा, ‘‘राहुल जी आप ऐसा नहीं कर सकते। आप इस तरह के आरोप नहीं लगा सकते। क्या आप ऑडियो टेप की प्रामाणिकता की पुष्टि करते हैं? क्या आप लिखित में इन आरोपों की प्रामाणिकता की पुष्टि करते हैं?’’
राहुल चर्चा के दौरान गोवा के एक मंत्री का कथित ऑडियो टेप भी सुनाना चाहते थे, लेकिन लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी। राहुल का दावा था कि यह ऑडियो टेप गोवा के स्वास्थ्य मंत्री का है, जिन्होंने एक कैबिनेट बैठक का जिक्र किया था। इस बैठक में पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने दावा किया था कि उनके घर में राफेल डील के राज से जुड़ी फाइलें मौजूद हैं। इस पर स्पीकर ने कहा, ‘‘राहुल जी आप ऐसा नहीं कर सकते। आप इस तरह के आरोप नहीं लगा सकते। क्या आप ऑडियो टेप की प्रामाणिकता की पुष्टि करते हैं? क्या आप लिखित में इन आरोपों की प्रामाणिकता की पुष्टि करते हैं?’’
राहुल ने बाद में कहा- अब टेप नहीं सुनाना चाहता
ऑडियो टेप सुनाने की राहुल की मांग के बाद हंगामा होता रहा और पांच मिनट के लिए लोकसभा की कार्यवाही काे स्थगित कर दिया गया। इसके बाद जब दोबारा कार्यवाही शुरू हुई तो राहुल ने कहा कि अब वे टेप नहीं सुनाना चाहते। इस पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि राहुल जानते हैं कि यह टेप मनगढ़ंत है और कांग्रेस के लोगों ने इसे फैब्रिकेट किया है।
ऑडियो टेप सुनाने की राहुल की मांग के बाद हंगामा होता रहा और पांच मिनट के लिए लोकसभा की कार्यवाही काे स्थगित कर दिया गया। इसके बाद जब दोबारा कार्यवाही शुरू हुई तो राहुल ने कहा कि अब वे टेप नहीं सुनाना चाहते। इस पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि राहुल जानते हैं कि यह टेप मनगढ़ंत है और कांग्रेस के लोगों ने इसे फैब्रिकेट किया है।
राहुल ने कहा- मेरा काम सवाल उठाना
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘मेरा काम सरकार पर सवाल उठाना है। मैंने प्रधानमंत्री के साक्षात्कार का कुछ हिस्सा सुना। उन्होंने करीब डेढ़ घंटे तक विभिन्न मुद्दों पर बात की। राफेल पर मोदी से सवाल नहीं पूछा, उन पर आरोप नहीं लगाया। मैं सदन में कहना चाहता हूं कि पूरा देश उनसे राफेल पर सवाल पूछ रहा है। उन्होंने साक्षात्कार में राफेल पर जवाब क्यों नहीं दिया।’’
राहुल ने पूछे सवाल
देश को 126 विमानों की जरूरत थी?
राहुल ने कहा- वायुसेना को 126 विमानों की जरूरत थी और इसे 36 विमानों तक सीमित कर दिया गया। किसने वायुसेना की जरूरत को बदला? 36 एयरक्राफ्ट के लिए तर्क दिया जा रहा है कि ये जहाज हमें तुरंत चाहिए। तब सवाल ये है कि अभी तक एक भी जहाज देश में लैंड क्यों नहीं हुआ। तत्कालीन रक्षा मंत्री से पूछा गया कि नए सौदे के बारे में आपको क्या पता है, उन्होंने खुद कहा कि हमें कुछ नहीं पता।
कॉन्ट्रैक्ट अपने मित्र को क्यों दिया?
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ''एचएएल 70 साल से विमान बना रहा है। एविएशन इंडस्ट्री के फ्यूचर में एचएएल के पास पोटेंशियल है। दूसरी तरफ अनिल अंबानी की कंपनी है। 10 दिन पहले उन्होंने कंपनी बनाई थी, जिसके बाद उन्हें डील मिल गई थी। फ्रांस के राष्ट्रपति ने कहा था कि भारत के प्रधानमंत्री ने हमें यह डील अनिल अंबानी को देने का निर्देश दिया था। आपने यह कॉन्ट्रैक्ट अपने मित्र अनिल अंबानी को क्यों दे दिया? आपने यह कॉन्ट्रैक्ट एचएएल से क्यों छीना?''
126 से घटकर 36 विमानों की डील हो गई?
राहुल ने कहा, "यूपीए के वक्त राफेल 526 करोड़ रुपए में खरीदा जा रहा था। जब नरेंद्र मोदीजी फ्रांस गए, तब उन्होंने तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति ओलांद से मुलाकात की और डील में एक जहाज की कीमत 1600 करोड़ तक पहुंच गई। वहां के राष्ट्रपति ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा था कि नई कीमतें लागू होंगी और डील एचएएल से लेकर दूसरे को दी गई। क्या यह सच है?''
अंबानी और गोवा के सीएम का नाम लेने पर स्पीकर ने राहुल को टोका
अंबानी और गोवा के सीएम का नाम लेने पर स्पीकर ने राहुल को टोका
- राहुल ने कहा, "मैं यहां रक्षा मंत्री को छिपते हुए और मुस्कुराते हुए देख रहा हूं। उन्होंने खुद कहा था कि सौदे में कीमतें गुप्त रखी गई हैं। मैक्रों ने मुझसे और मनमोहन सिंह से खुद कहा था कि हमें सौदे की कीमतें बताए जाने पर कोई आपत्ति नहीं है। प्रधानमंत्री ने डेढ़ घंटे के भाषण में पांच मिनट भी राफेल पर बात नहीं की। वे संसद में भी नहीं आए। रक्षा मंत्री छिप रही हैं। एचएएल से डील लेकर पीएम ने अपने चहेते अनिल अंबानी को दे दी।''
- इस पर सुमित्रा महाजन ने राहुल से कहा- आप अनिल अंबानी का नाम नहीं ले सकते हैं। उनकी फर्म का नाम ले सकते हैं। वह इस सदन के सदस्य नहीं हैं। इस पर राहुल ने कहा, ‘‘क्या वे भाजपा के सदस्य हैं। क्या मैं डबल ए भी नहीं कह सकता।’’ इसके बाद राहुल ने अनिल अंबानी को डबल ए कह कर संबोधित किया।
- राहुल ने कहा, "एक और आर्टिकल आज आया है। इसमें लिखा है कि डिफेंस मिनिस्ट्री की फाइल नोटिंग में अफसरों ने कहा है- प्रधानमंत्री को राफेल की सौदेबाजी में दखलंदाजी नहीं करनी चाहिए। इसका भी जवाब प्रधानमंत्री दें। आखिरी बात मैं कहना चाहता हूं कि जो टेप निकला है। इसमें पूर्व रक्षा मंत्री पर्रिकर ने कैबिनेट मीटिंग में सबके सामने कहा कि मेरे पास राफेल की फाइलें घर में पड़ी हुई हैं। राफेल का पूरा सच मेरे पास है।'’
- ऑडियो टेप का जिक्र करते वक्त राहुल गोवा के सीएम का नाम ले रहे थे। इस पर सुमित्रा महाजन ने कहा- आप गोवा के सीएम का नाम नहीं ले सकते हैं, आप उन्हें पूर्व रक्षा मंत्री कहकर बुलाइए।
राहुल के सवालों पर जेटली के जवाब
1) कीमतें यूपीए के वक्त से 20% कम
जेटली ने कहा, "वे (राहुल) कहते हैं कि प्रक्रिया गलत है। एक ही आदमी ने सबकुछ कर लिया। वे कहते हैं कि 500 करोड़ का जहाज वो ला रहे थे और 1600 करोड़ का हम ला रहे हैं। इन्हें जहाज और लड़ाकू जहाज के बीच का मौलिक अंतर ही नहीं पता है। दाम एक नहीं होता। एक दाम एयरक्राफ्ट का और दूसरा दाम वेपनाइज्ड एयरक्राफ्ट का होता है। रक्षा मंत्री (निर्मला सीतारमण) ने ठीक कहा था कि बेसिक एयरक्राफ्ट का हमने दाम बता दिया है और वेपनाइज्ड का नहीं बता सकते, क्योंकि ऐसा करने से दुश्मन को हथियार के बारे में पता चल जाता है। यूपीए के बाद एनडीए ने बेसिक और वेपनाइज्ड एयरक्राफ्ट का दाम तय किया था। मैं बिना खंडन के डर के यह कह सकता हूं कि हमारे समय जो पहला विमान हमें मिलेगा, उसकी कीमत यूपीए के समय तय किए गए बेसिक विमान से 9% और वेपनाइज्ड विमान की कीमत 20% तक कम होगी।"
जेटली ने कहा, "वे (राहुल) कहते हैं कि प्रक्रिया गलत है। एक ही आदमी ने सबकुछ कर लिया। वे कहते हैं कि 500 करोड़ का जहाज वो ला रहे थे और 1600 करोड़ का हम ला रहे हैं। इन्हें जहाज और लड़ाकू जहाज के बीच का मौलिक अंतर ही नहीं पता है। दाम एक नहीं होता। एक दाम एयरक्राफ्ट का और दूसरा दाम वेपनाइज्ड एयरक्राफ्ट का होता है। रक्षा मंत्री (निर्मला सीतारमण) ने ठीक कहा था कि बेसिक एयरक्राफ्ट का हमने दाम बता दिया है और वेपनाइज्ड का नहीं बता सकते, क्योंकि ऐसा करने से दुश्मन को हथियार के बारे में पता चल जाता है। यूपीए के बाद एनडीए ने बेसिक और वेपनाइज्ड एयरक्राफ्ट का दाम तय किया था। मैं बिना खंडन के डर के यह कह सकता हूं कि हमारे समय जो पहला विमान हमें मिलेगा, उसकी कीमत यूपीए के समय तय किए गए बेसिक विमान से 9% और वेपनाइज्ड विमान की कीमत 20% तक कम होगी।"
2) कुछ लोग और परिवार राष्ट्रीय सुरक्षा नहीं, बस पैसे की अहमियत समझते हैं
जेटली ने कहा, "इस देश में कुछ लोग और परिवार ऐसे हैं, जिन्हें पैसे का गणित समझ में आता है और देश की सुरक्षा का वह नहीं सोचते हैं। नेशनल हेराल्ड केस क्या था? पब्लिक प्रॉपर्टी को प्राइवेट प्रॉपर्टी बना दिया गया। उस परिवार के सदस्य बेल पर बाहर घूम रहे हैं। जो शख्स (क्रिश्चियन मिशेल) हमारी गिरफ्त में है, वह क्यों मिसेज गांधी, आर, इटालियन लेडी, सन ऑफ इटालियन लेडी के बारे में मेल करता है। कारण यह है कि इन्हें यह समझ में नहीं आता कि राष्ट्रीय सुरक्षा क्या होती है। इन्हें केवल पैसा समझ में आता है, जो वह अपने लिए इस्तेमाल करते हैं।’’
जेटली ने कहा, "इस देश में कुछ लोग और परिवार ऐसे हैं, जिन्हें पैसे का गणित समझ में आता है और देश की सुरक्षा का वह नहीं सोचते हैं। नेशनल हेराल्ड केस क्या था? पब्लिक प्रॉपर्टी को प्राइवेट प्रॉपर्टी बना दिया गया। उस परिवार के सदस्य बेल पर बाहर घूम रहे हैं। जो शख्स (क्रिश्चियन मिशेल) हमारी गिरफ्त में है, वह क्यों मिसेज गांधी, आर, इटालियन लेडी, सन ऑफ इटालियन लेडी के बारे में मेल करता है। कारण यह है कि इन्हें यह समझ में नहीं आता कि राष्ट्रीय सुरक्षा क्या होती है। इन्हें केवल पैसा समझ में आता है, जो वह अपने लिए इस्तेमाल करते हैं।’’
3) हर बार कांग्रेस पर उंगलियां उठीं
जेटली ने कहा, ‘अगर बोफोर्स, नेशनल हेराल्ड, अगस्ता-वेस्टलैंड में आप पर उंगलिया उठती हैं तो यह आरोप काफी हैं। अगर कोई एक मामला होता तो आपको संदेह का लाभ दिया जा सकता था। मुझे लगता है कि राहुल गांधीजी ने जेम्स बॉन्ड की फिल्में अपनी युवावस्था में देखी होंगी। इस फिल्म में एक डायलॉग था। इसमें कहा गया था-अगर एक बार कुछ होता है, तो ऐसा हो सकता है। दूसरी बार होता है तो यह संयोग हो सकता है। लेकिन, अगर यह तीसरी बार भी ऐसी ही चीज होती है, तो कहा जाएगा कि कुछ ना कुछ साजिश जरूर थी।’
जेटली ने कहा, ‘अगर बोफोर्स, नेशनल हेराल्ड, अगस्ता-वेस्टलैंड में आप पर उंगलिया उठती हैं तो यह आरोप काफी हैं। अगर कोई एक मामला होता तो आपको संदेह का लाभ दिया जा सकता था। मुझे लगता है कि राहुल गांधीजी ने जेम्स बॉन्ड की फिल्में अपनी युवावस्था में देखी होंगी। इस फिल्म में एक डायलॉग था। इसमें कहा गया था-अगर एक बार कुछ होता है, तो ऐसा हो सकता है। दूसरी बार होता है तो यह संयोग हो सकता है। लेकिन, अगर यह तीसरी बार भी ऐसी ही चीज होती है, तो कहा जाएगा कि कुछ ना कुछ साजिश जरूर थी।’
4) आपके रक्षा मंत्री ने सब तय होने के बाद कहा था कि पुुनर्विचार हो
जेटली ने कहा, "आप कहते हैं कि जहाज मिलने में इतना वक्त क्यों लगा। मैं बताता हूं कि आपके रक्षा मंत्री ने पूरी प्रक्रिया होने और जहाज चुन लिए जाने के बाद कहा था कि इस प्रक्रिया को मैं अपनी मंजूरी देता हूं, लेकिन इस प्रक्रिया पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। आप अगर उसी कॉन्ट्रैक्ट को समझ लेते तो यह जान जाते कि तब 11 साल में जहाज मिलने थे।"
जेटली ने कहा, "आप कहते हैं कि जहाज मिलने में इतना वक्त क्यों लगा। मैं बताता हूं कि आपके रक्षा मंत्री ने पूरी प्रक्रिया होने और जहाज चुन लिए जाने के बाद कहा था कि इस प्रक्रिया को मैं अपनी मंजूरी देता हूं, लेकिन इस प्रक्रिया पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। आप अगर उसी कॉन्ट्रैक्ट को समझ लेते तो यह जान जाते कि तब 11 साल में जहाज मिलने थे।"
5) आत्मसंतुष्टि के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दखलंदाजी नहीं करनी चाहिए
जेटली ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी पढ़ा। कहा- सुप्रीम कोर्ट ने दामों की बात पर अपने फैसले में कहा था कि हम पहले इस रक्षा सौदे के दाम जानना नहीं चाहते थे। लेकिन, फिर हमने आत्मसंतुष्टि के लिए इसे जानना चाहा। सरकार ने हमें विमानों के दाम सीलबंद लिफाफे में दिए थे। हमने इन्हें देखा और हम संतुष्ट हो गए। फिर, हम इस नतीजे पर पहुंचे कि इस मामले में हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।
जेटली ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी पढ़ा। कहा- सुप्रीम कोर्ट ने दामों की बात पर अपने फैसले में कहा था कि हम पहले इस रक्षा सौदे के दाम जानना नहीं चाहते थे। लेकिन, फिर हमने आत्मसंतुष्टि के लिए इसे जानना चाहा। सरकार ने हमें विमानों के दाम सीलबंद लिफाफे में दिए थे। हमने इन्हें देखा और हम संतुष्ट हो गए। फिर, हम इस नतीजे पर पहुंचे कि इस मामले में हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।
6) दैसो को तय करना था ऑफसेट पार्टनर
उन्होंने ऑफसेट पार्टनर एचएएल की जगह रिलायंस डिफेंस को चुनने पर कहा, "कांग्रेस के खुद के हाथ बोफोर्स और अगस्ता घोटाले में रंगे हुए हैं। ये लोग मनगढ़ंत आरोप बनाते हैं। ये कह रहे हैं कि एचएएल से कॉन्ट्रैक्ट छीना गया। ऑफसेट पार्टनर का मतलब विमान की जरूरत का सामान सप्लाई करने वाला। ऑफसेट कंपनियों की लिस्ट बनती है। दैसो ने तय किया है कि उसका ऑफसेट पार्टनर कौन होगा। यह हम नहीं तय करते। पूरा रक्षा सौदा 58 हजार करोड़ का है और अगले दस साल में इसमें ऑफसेट पार्टनर की हिस्सेदारी 29 हजार करोड़ है। आप रोज 1.30 लाख करोड़ की बात करते हैं। अरे जब डील पूरी 58 हजार करोड़ की है तो ऑफसेट ट्रांजैक्शन 1.30 लाख करोड़ का कैसे हो गया?"
उन्होंने ऑफसेट पार्टनर एचएएल की जगह रिलायंस डिफेंस को चुनने पर कहा, "कांग्रेस के खुद के हाथ बोफोर्स और अगस्ता घोटाले में रंगे हुए हैं। ये लोग मनगढ़ंत आरोप बनाते हैं। ये कह रहे हैं कि एचएएल से कॉन्ट्रैक्ट छीना गया। ऑफसेट पार्टनर का मतलब विमान की जरूरत का सामान सप्लाई करने वाला। ऑफसेट कंपनियों की लिस्ट बनती है। दैसो ने तय किया है कि उसका ऑफसेट पार्टनर कौन होगा। यह हम नहीं तय करते। पूरा रक्षा सौदा 58 हजार करोड़ का है और अगले दस साल में इसमें ऑफसेट पार्टनर की हिस्सेदारी 29 हजार करोड़ है। आप रोज 1.30 लाख करोड़ की बात करते हैं। अरे जब डील पूरी 58 हजार करोड़ की है तो ऑफसेट ट्रांजैक्शन 1.30 लाख करोड़ का कैसे हो गया?"
7) एचएएल को 2.7 गुना ज्यादा वक्त चाहिए था
वित्त मंत्री ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है- एचएएल और दैसो की बातचीत पूरी नहीं हो पाई। उनमें दिक्कतें थीं। 2.7 गुना ज्यादा वक्त चाहिए एचएएल को विमान बनाने के लिए। इतने वक्त में पाकिस्ता और चाइना अपनी लड़ाकू विमानों की क्षमता बढ़ा लेते। हमें तुरंत इस बात की आवश्यकता थी कि हम अपनी क्षमताएं बढ़ाएं। हमारी सेना को तुरंत इन विमानों की आवश्यकता थी। यूपीए के 10 साल के दौरान हमारी क्षमता कम हुई, जब हम इसे बढ़ाने की कोशिश करने लगे तो इसमें रुकावटें डाली जाने लगीं।"
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